Monthly Archives: February 2012

पाणी पीवा री राजस्थानी रीत – पाणी वंचावा री मीत

(मेवाड़ी भाषा में जल बचत पर एक लेख) आजकल हम लोग ग्लासों  को मुँह से लगा कर पानी पीते हैं जबकि पहले  ग्लास को बिना झूठा किये पानी पीने का रिवाज़ रहा है। मेवाड़ी भाषा के इस लेख में यह  अनुमान … Continue reading

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Lake “Fateh Sagar” of Udaipur, Rajasthan (India) needs to be actually called as “Fatah Saagar”

One of the famous lakes of Udaipur, normally pronounced and written as “Fateh Sagar,” needs to be pronounced and written as “Fatah Saagar” on the basis of history of its naming and correct pronunciation of Hindi and Urdu words. This … Continue reading

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पाणी री फ़सल किस्तर व्हे ?

(वॉटर हारवेस्टिंग पर मेवाड़ी भाषा में एक विचारोत्तेजक लेख) आजकालाँ पाणी हंजोवा वाते रोज नवी वाताँ भणवा में आवे। अणाँ में एक वात, वाटर हारवेस्टिंग रे नाम पे घणी जोर दई ने वताई जाइरी है जणी में घराँ री छताँ … Continue reading

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विकास कार्य और गांधीवाद

विकास कार्यों के निष्पादन मे विगत कुछ वर्षों से मानव श्रम के स्थान पर मशीनों से खुदाई करने, मसाला व गिट्टी मिलाने की परिपाटी बढ़ रही है और परम्परागत रूप से अपनायी जाने वाली निर्माण विधियाँ, जैसे चूना मसाले में … Continue reading

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