Tag Archives: नगर नियोजन

उदयपुर राजस्थान – हमारे पुरखे हम से अधिक स्मार्ट थे – उनसे सीखें हम नगर नियोजन

नागरिक इस स्थिति के या तो मूक दर्शक हो रहे हैं या फिर इतना सोचने की उन्हें फुर्सत ही नहीं है। यह एक चेतावनीपूर्ण स्थिति है। ज़रूरी है कि हम समय रहते चेतें व स्थिति को और बिगड़ने से रोकें । हमें उदयपुर के अतीत से शिक्षा लेनी होगी, विकास कार्यों को स्थानीय ढांचे में ढ़ालना होगा और स्थानीय कौशल को बढ़ावा देना होगा । विकास कार्यों के निर्देशन के लिये स्थानीय प्रबुद्ध
नागरिकों का एक नियंत्रण मंडल हो, बाहरी कन्सल्टेंटों की रिपोर्टों पर टिप्पणी के लिये संबंधित विषय के ज्ञाताओं की एक अधिकार प्राप्त तकनीकि समिति हो, सभी झीलों का कोई एक ही धणी धोरी विभाग या संस्था हो, नगर का विस्तार कृषी योग्य भूमि को लीलने से नहीं हो, स्थानीय शैली के पुरा-निर्माण संरक्षित हों और पुर्ननिर्माण या नव निर्माण भी स्थानीय शैली का पुट
लिये हुए हों । भवनों के साथ पर्याप्त हरे और खुले क्षेत्र हों, सड़कों के डिवाइडर हरी झाड़ियों के हों, सड़कों के दोनों तरफ अनिर्बाधित फुट पाथ व पेड़ों की क्षंखला
हो, पत्थरों की बाउंड्री वॉल्स के बजाय हरी कांटेदार हैज लगे, ऑटो रिक्शा व सिटी बसें सी एन जी से चलें, सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था सुचारु हो, पार्किंग की अच्छी व पर्याप्त व्यवस्था हो,जैसे कई कदम उठाने उदयपुर के मूल गौरव, धरोहर व पर्यावरण संरक्षण के लिये आवश्यक हैं ताकि इसकी पहचान बनी रहे । इसके लिये जन जन को अपने से पहले उदयपुर के लिये समर्पित होना होगा व अपनी जड़ता छोड़नी होगी । Continue reading

Posted in Uncategorized, अपना उदयपुर, नगरीय विकास, विकास योजनाएं, हिंदी प्रभाग (Hindi Section) | Tagged , , , | Leave a comment

अवैध निर्माणों का मूल कारण – उत्तरदायित्व निर्धारण का अभाव

स्वाधीनता के बाद की उल्लेखनीय कुपरिपाटियों में अतिक्रमण और अवैध निर्माण एक मुख्य कुपरिपाटी है और यह प्रवृति बढ़ती ही जा रही है जिसके चपेटे में केवल बिलानाम सरकारी भूमि ही नहीं, आरक्षित वन भूमि, देवस्थान भूमि और चरागाहों के … Continue reading

Posted in UNCLASSIFIED - अवर्गीकृत | Tagged , , , , , | Leave a comment